शनिवार, 29 अप्रैल 2017

दीवान रिसोर्ट में 26 बटुकों का हुआ उपनयन संस्कार

मिशन क्रांति न्यूज,,जांजगीर-चांपा। भगवान परशुराम जयंती व अक्षय तृतिया के शुभ अवसर पर कचहरी चौक के नजदीक स्थित दीवान रिसोर्ट में सरयूद्विज ब्राह्मण महिला समिति द्वारा 26 बटुकों का उपनयन संस्कार  कराया गया। सुबह से ही महिला संगठन उपनयन संस्कार की तैयारी में जोरशोर से जुट गए थे,,, सभी बटूकों द्वारा विधी विधान से भगवान की पूजा अर्चना  गई,,,उक्त कार्यक्रम में बटुकों के माता-पिता व सभी ब्राम्हणों ने भीक्षा स्वरूप बटूकों को दान  दिए,,आचार्य द्वारा बटूकों को शिक्षा- दीक्षा दिया गया। महिला समिति ने उपनयन संस्कार में पहुंचे सभी ब्राह्मणों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की। दीवान रिसोर्ट में सुबह से शाम तक ब्राह्मण समाज के लोगों की भीड़ जुटी रही।
पांच साल से करा रहे उपनयन संस्कार
सरयूद्विज ब्राह्मण महिला समिति द्वारा दीवान रिसोर्ट में 2012 से से अब तक पिछले पाँच सालों से उपनयन संस्कार कराया जा रहा है,,,इसी परिपेक्ष्य में इस वर्ष भी बटूकों का उपनयन संस्कार धार्मिक विधि विधान से कराया गया। उक्त महिला समिति द्वारा यह उपनयन संस्कार का  छठवां साल था। जो सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।

गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

किसान पुत्र रोशन का टॉप टेन में चौथा स्थान,,,कलेक्टर बनकर जनसेवा करने की दिली तमन्ना

 मिशन क्रांति न्यूज जांजगीर चाम्पा। कामयाबी हासिल करने के लिए जरूरी नहीं कि हर सुख सुविधाएं हो, इसके अभाव में भी ईमानदारी से मेहनत व लगन से सफलता हासिल की जा सकती है, इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है ग्राम करनौद के एक किसान सीताराम देवांगन के होनहार पु़त्र रोशन देवांगन ने,  जिसने बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में 96.80 फीसदी अंक अर्जित कर टॉप टेन सूची में अपना नाम दर्ज करवाया है। छात्र की इस उपलब्धि ने जिले के सम्मान में एक और अहम कड़ी जोड़ दी है।माता पिता के आंखों से खुशी के आंसु छलक रहे हैं
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर ने गुरूवार को बारहवीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम जारी कर दिए हैं। दसवीं की तरह बारहवीं का परीक्षा परिणाम भी जिलेवासियों के लिए गौरवपूर्ण रहा है। बारहवीं की परीक्षा में जहां जिले का परिणाम अच्छा आया है। वहीं जिले के बम्हनीडीह विकासखंड अंतर्गत ग्राम करनौद के एक होनहार छात्र रोशन देवांगन ने मेरिट लिस्ट में चौथा स्थान बनाकर खुशी में चार चांद लगा दिया है।
 होनहार छात्र रोशन देवांगन ने बताया कि वह रोजाना आठ से दस घंटे पढ़ाई करता था। कक्षा बारहवीं में पहुंचने के बाद उसने मन में ठान लिया था कि वह हर हाल में बेहतर परिणाम लाकर रहेगा। इसी मकसद को ध्यान में रखते हुए उसने कठिन परिश्रम कियाए जिसका परिणाम आज सामने है। उसने आगे बताया कि वह भविष्य में कलेक्टर बनकर देश और समाज की सेवा करना चाहता है। पारिवारिक पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए उसने बताया कि वह किसान परिवार से है। उसके पिता सीताराम देवांगन खेती.किसानी उसे अच्छी तालीम दे रहे हैं। वह अपने माता.पिता के अरमानों को पूरा करते हुए उन्हें सुख तथा सम्मान देना चाहता है।
पुत्र को बडा अफसर बनाने हरसंभव प्रयास
अपने पुत्र की कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए किसान सीताराम देवांगन ने कहा कि उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि उसके पुत्र ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्होंने बताया कि वे खेती.किसानी करके अपने पुत्र को बड़ा अफसर और अच्छा इंसान बनाना चाहते हैं। वे इसके लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। आंखों में खुशी के आंसू लिए होनहार छात्र रोशन की मां जानकी बाई देवांगन ने कहा कि आज उसके पुत्र ने कमाल कर दिखाया है। उसे उम्मीद है कि आगे भी सफलता उसके पुत्र की कदम चूमेगीए क्योंकि वह एक लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। छात्र रोशन के माता.पिता ने कहा कि वे अपने पुत्र के लक्ष्य को पूरा कराने हरसंभव प्रयास करेंगे।
छात्र रोशन के परिजनों ने बताया कि सुबह जब कक्षा बारहवीं का परीक्षा परिणाम जारी हुआ और मेरिट सूची में दर्ज छात्रों के नामों की घोषणा की गई तभी उनके पास फोन आया और बताया गया कि छात्र रोशन ने मेरिट लिस्ट में चौथा रैंक बनाया है। इसके बाद स्वामी विवेकानंद स्कूल करनौद के शिक्षकों से संपर्क किया गया तब सबकुछ स्पष्ट हो गया। इसके बाद उनके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया।

बिना सेवा बढे रोजगार सहायक करा रहे लाखों का काम ! कामकाज में गडबडी होने पर आखिर कौन होगा जिम्मेदार

विभागीय अमला शासन की महती योजना के क्रियान्वयन में भी बरत रहे घोर लापरवाही
मिशन क्रांति न्यूज जांजगीर-चाम्पा। ग्रामीणों को गांव में ही काम उपलब्ध कराने की मंशा से शुरू की गई महात्मा गांधी रोेजगार गारंटी योजना का काम इस वित्तीय वर्ष ऐसे रोजगार सहायकों के भरोसे कराया जा रहा है जिनकी सेवा वृदिध अब तक बढाई ही नहीं जा सकी है। ऐसे में सरकारी काम पर सवालिया  निशान उठने लगा है, क्योंकि आंकडों पर जाएं तो मनरेगा के काम में ही सबसे अधिक फर्जीवाडा हुआ है,,,इसके बावजूद मनरेगा का काम गैर जिम्मेदार लोगों से कराया जा रहा है, जो विभागी अमलों की घोर लापरवाही को उजागर करता है। बहरहाल मनरेगा का काम धडल्ले जारी  है और विभाग तमाशबीन की तरह चुप्पी साधे हुए हैं।
      जिले के तकरीबन 631 ग्राम पंचायतों के लगभग ज्यादातर गांवों में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत तालाब गहरीकरण,सडक निर्माण, व नया तालाब निर्माण सहित कई अन्य काम कराए जा रहे है लेकिन इस साल मनरेगा के काम में ऐसे लोगांे को जिम्मेदारी सौंपी गई है,,, जिन रोजगार सहायकों की अब तक सेवा वृदिध ही नहीं बढ पाई है जिससे वे काम कराने अधिकृत ही नहीं है, ऐसे में वे बेरोकटोक लाखों का काम करा रहे हैं,, अब सवाल यह उठता है कि यदि उक्त कामों में किसी तरह की बडी गड़बड़ी अथवा फर्जीवाड़ा का खेल हुआ तो उसके लिए आखिर विभागीय अमला किसको जिम्मेदार ठहराएंगे,,हालंाकि मनरेगा के काम की निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत होता है लेकिन कार्य स्थल पर मजूदरी की उपस्थिति से लेकर मस्टर रोल भरना व मनरेगा के संपूर्ण कामकाज की जिम्मेदारी रोजगार सहायक का होता है, यदि बगैर पुर्न नियुक्ति के कामकाज संभालने वाले रोजगार सहायकों द्वारा किसी तरह अनियमितता बरती जाती है तो इसके लिए आखिर विभागीय अमला किसको जिम्मेदार मानेंगे,,यह एक बडा सवाल है लेकिन इसके बावजूद आंख मूंदकर जिम्मेदार अधिकारी इस काम को बेरोकटोक अमलीजामा पहनाने लगे हैं, बहरहाल बात जो भी हो लेकिन जिले के पूरे 9 ब्लाक के ज्यादातर ग्राम पंचायत में मनरेगा का काम किया जा रहा है। जिसकी नजर किसी की नहीं पडी है हालांक कुछ जानकार दबी जुबान से इस बात को अनुचित ठहरा रहे हैं  पर इसकी ना तो अब तक शिकायत हुई है और ना ही विभागीय अमला इसे गंभीरता स ेले रही है क्योंकि उन्हें इस बात की जरा भी फिक्र नहीं कि कामकाज के दौरान यदि किसी तरह अनियमितता आती है तो उसके लिए दोषी किसे माना जाएगा और कार्रवाई की गाज किस पर गिरेगी। बहरहाल जिम्मेदार अफसरों की वजह से इस तरह केंद्र सरकार की महती योजना का भी हाल बेहाल है जहां मनमाने ढंग से अपनी सुविधानुसार अफसर काम करा रहे हैं जिसका ताजा उदाहरण यही है कि रोजगार सहायकों की सेवावृदिध नहीं बढ़ पाई है और काम धडल्ले से जारी हैं।
मनरेगा के काम में गड़बड़ी  होने पर कौन होगा दोषी
महात्मा गांधी का काम सुचारू ढंग से चले इसके लिए बकायदा हर ग्राम पंचायतों में रोजगार सहायकों की नियुक्ति की गई है,चूंकि ये संविदा कर्मचारी हैं,जिनकी हर साल 28 फरवरी को सेवा समाप्त हो जाती है उसके बाद पुनः कामकाज सही पाए जाने पर सेवा वृदिध बढा दी जाती है लेकिन इस वित्तीय वर्ष रोजगार सहायकों की सेवा वृदिध अब तक नहीं बढाए जाने की बात सामने आ रही है पर मजे की बात तो यह है कि इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों की शह पर रोजगार सहायक मनमाने ढंग से मनरेगा का काम करा रहे हैं ऐसे में अनियमितता व गडबडी में दोषी किसे माना जाएगा और कार्रवाई किस पर होगी। यह संशय बरकरार है।
सरपंच और सचिव की गैरमौजूदगी में होता है मनरेगा का काम
ज्यादातर पंचायतों में गांधी रोजगार गांरटी योजना का काम गैरमौजूदगी में होता है क्योंकि सरपंच व सचिव मनरेगा के कामकाज की संपूर्ण जिम्मेदारी रोज मेंगार सहायक को सौंप दिए रहते हैं ऐसे में वे अपनी जवाबदारी से मुंह मोड लेते हैं जिसके चलते रोजगार सहायक मेट के जरिए मनमाने ढंग से काम कराता है कई बार लापरवाही के चलते अनियमिता की शिकायतें सामने आती है और इसका खामियाजा सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक सहित मजदूरों को भुगतना पडता है,,मजदूरों की समय पर मजदूरी भुगतान नहीं हो पाता है। यह सब सरपंच व सचिव की  गैरमौजूदगी के चलते होता है,वहीं इस साल तो बिना सेवा वृदिध बढे रोजगार सहायक काम करा रहे हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मनरेगा का कामकाज किस ढंग से कराया जा रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
रोजगार सहायकों की नियुक्ति के संबंध में पूछे जाने पर मनरेगा के एपीओ विजेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें रोजगार सहायकों की नियुक्ति के संबंध में किसी तरह की जानकारी नहीं है,चूंकि रोजगार सहायक का नियोक्ता जनपद सीईओ होता है,,,हालांकि महात्मागांधी रोजगार गारंटी योजना का काम पंचायतों में रोजगार सहायकों द्वारा कराया जा रहा है। जनपदों से किसी तरह रोजगार सहायकों की नियुक्ति के संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है।

बुधवार, 26 अप्रैल 2017

भाजपा के सभी मंत्री भ्रष्ट,, कमिशनखोरी का चल रहा खुला खेल - मंजू सिंह



मंत्रियों को सीएम द्वारा कमिशनखोरी बंद करने पर 30 साल तक सत्ता में आने की नसीहत को कांग्रेसियों ने ठहराया अनुचित,,
कांग्रेसियों ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से की चर्चा,,,,सीएम के बेतुका बयान की कडी निंदा
मिशन क्रांति न्यूज,,जांजगीर-चाम्पा। भाजपा के शासन काल में सभी मंत्री भ्रष्ट है,,इस बात का खुलासा खुद छत्तीसगढ के सीएम डा रमन सिंह ने भाजपाईयों के सामने किया है,,,वे इस बात को स्वीकार रहे हैं,, शायद यही वजह के कि उन्होंने भाजपा बैठक में इस बात को स्वीकार करते हुए भाजपा के मंत्रियों को सिर्फ एक साल भ्रष्टाचार नहीं करने की नसीहत दे डाली, साथ ही उन्होंने कहा कि यदि ऐसा करते हैं तो भाजपा पिछले 30 साल से सत्ता में रहेगी। आज प्र्रशासनिक कसावट पूरी तरह खत्म है, अफसरसाही हावी है,लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए सरकारी दफतरों में अपने काम के लिए रिश्वत देना पडता है, जिससे लेागों में काफी नाराजगी है। उक्त बातें कांग्रेस की जिलाध्यक्ष श्रीमती मंजू सिंह ने बुधवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। ेत पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के शासनकाल में भ्रष्टाचार चरम पर है,,,जिससे जनता हलाकान है आने वाले समय में 2018 के चुनाव में जनता इस बात सरकार को करारा जवाब देगी। उन्होंने छत्तीसगढ की सरकार द्वारा दिए गए बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेसियों द्वारा हमेशा भ्रष्टाचार पर लगाम लगने आंदोलन हुआ है,चाहे वह नान घोटाला हो या जिले का गणवेश घोटाला हो, कांग्रेसियों ने उक्त भ्रष्टाचार के लिए आवाज मुखर की जिसका प्रकरण न्यायालय में लंबित है। प्रेसवार्ता में जांजगीर चाम्पा के विधायक मोतीलाल देवांगन ने भी भाजपा सरकार द्वारा भाजपा के मंत्रियों को एक साल कमिशन न लेने की सीख पर प्रहार करते हुए कहा कि सरकार खुद अपने नुमाइंदों को एक साल कमिशनखोरी बंद करने का मशवरा दे रहे हैं,,भला ऐसी सरकार से जनता क्या उम्मीद करेगी , आज हर आम जनमानस भाजपा के कार्यकाल से असंतुष्ट है,,,जिससे कांग्रेस पार्टी  पर भरोसा बढा है। श्री देवांगन ने आगे कहा कि आज भ्रष्टाचार चरम पर है, प्रशासनिक कसावट  पूरी तरह खत्म है,उन्होंने भाजपा सरकार को कटघरे में खडा करते हुए कहा कि जरा सीएम बताएं कि उन्हें कितना प्रतिशत कमिशन जाता है। अकलतरा विधायक चुन्नीलाल साहू ने भाजपा के सभी को कमिशनखोर बताया, और कहा कि भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को उजागर करेंगें,,साथ ही भ्रष्टाचार की जांच की मांग करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई के लिए आवाज बुलंद किया जाएगा। जिसके लिए कांग्रेस पूरी तरह तैयार है। कांग्रेसियों ने कहा कि नैतिकता के आधार पर सीएम को इस्तिफा देना चाहिए। उन्होंने छत्तीसगढ सरकार के उक्त कथन को भ्रष्टाचार को बढावा मिलने की बात कहते हुए जमकर नाराजगी जाहिर की। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, जिला पंचायत सदस्य विजय लक्ष्मी सामले,आभाष बोस,भगवान दास गढेवाल सहित बडी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे
 हर ब्लाक में सीएम का होगा पुतला दहन
जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती मंजू सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ सरकार द्वारा मंत्रियों को एक साल कमिशन नहीं लेने की नसीहत को अनुचित ठहराते हुए कहा कि उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तिफा देना चाहिए,, इसके लिए कांग्रेसियों द्वारा राष्टपति व राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा, और उनके इस्तिफे की मांग को लेकर जिले के सभी ब्लाक में सीएम डा रमन सिंह का पुतला दहन किया जाएगा, साथ ही दोषियों पर कार्रवाई को लेकर नई रणनीति तैयार की जाएगी। जरूरत पडने पर न्याय के लिए न्यायालय में केस फाईल किया जाएगा।


सोमवार, 24 अप्रैल 2017

छात्रवृत्ति के लिए छात्रों ने लगाई कलेक्टर से गुहार

जांजगीर चांपा।शासकीय मिडिल स्कूल कोटाडबरी के छात्राओं ने छात्रवृत्ति के लिए जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर से गुहार लगाई,,, छात्रों को पिछले 2 साल से छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई है,,, जिसकी शिकायत लेकर सोमवार को दर्जनों छात्राएं अभिभावकों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे,,, जहां छात्रवृत्ति के संबंध में शिकायत की,,,कलेक्टर ने छात्रवृत्ति भुगतान एक हफ्ते के भीतर कराने छात्रों को आश्वस्त किया।
शिकायत करने कलेक्टोरेट पहुंचे मुस्कान,संध्या व सरस्वती लहरे ने बताया कि वे सरकारी मिडिल स्कूल कोटाडबरी में पढ़ाई कर रहे थे,,,लेकिन पिछले दो सालों से कक्षा छठवीं,सातवी व आठवीं के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई है,,,जिसकी शिकायत लेकर तकरीबन 14-15 छात्राएं आज दोपहर को कलेक्ट्रेट पहुंचे और छात्रवृत्ति का शीघ्र भुगतान कराने कलेक्टर से गुहार लगाई,,,कलेक्टर ने शीघ्र छात्रवृत्ति भुगतान कराने छात्रों को आश्वस्त किया। इस अवसर पर कई छात्रों के अभिभावक भी उनके साथ कलेक्टोरेट पहुंचे थे।
चिलचिलाती धूप में भटकती रही छात्राएं
छात्रवृत्ति के लिए जिला मुख्यालय पहुंची छात्राएं कलेक्टोरेट में शिकायत के पहले दोपहर तकरीबन 12 बजे इधर-उधर भटक रहे थे,,,वहीं कलेक्टर से गुहार लगाने के घंटो बाद चिलचिलाती धूप में बस का इंतजार करने मजबूर थे।


रविवार, 23 अप्रैल 2017

आखिर किसानों के कब सुधरेंगे हालात ! कर्ज माफी के अलावा किसानों के लिए बेहतर योजना लागू करने की दरकार

विशेष टिप्पणी 
डायमंड शुक्ला संपादक 
मिशन क्रांति न्यूज
मिशन क्रांति न्यूज@जांजगीर-चाम्पा
विकसित व विकासशील  देश की कल्पना लिए भारत नित नए विकास के साथ भले ही नवनिर्माण की ओर निरंतर अग्रसर हो रहा है लेकिन क्या इतने दशक बाद भी किसानों के हालात बदले,,, सिर्फ चंद योजनाएं लागू कर देने से क्या उसकी स्थिति बदल जाएगी,,, सरकार उद्योग लगाने से लेकर हर काम के लिए बैंकों के जरिए कर्ज दिलाने भरसक प्रयास कर रही है जिसका लाभ उद्ययमियों को बखूबी मिल रहा है,,,कहीं  सब्सीडी का खेल तो कहीं आपसी तालमेल से बैंक प्रबंधक ों द्वारा महज टारगेट पूरा करने सरकारी पैसों  का बंदरबाट,,,जिसका ताजा उदाहरण हमारे देश में  कई बार सुनने व जानने को मिला है,,एक उद्योगपति विजय माल्या जहां हजारों करोड रूपए लेकर देश से चंपत  हो जाता है और  सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगती,,,, वहीं कई किसान जिन्होंने  खेती के लिए बैंकों से महज चंद रकम कर्ज ले रखे हैं  उनके यहां बैंक कर्मियों की दबिश इतनी कि  वे मानसिक रूप से खुद को  प्रताडित समझते हैं पर वे सीधे साधे किसान किसी से शिकवा शिकायत करने की बजाय अपने स्तर पर मामला निपटाकर शीघ्र कर्ज अदायगी का आश्वासन देता है ताकि उनकी प्रतिष्ठा दांव में मत लग जाए,,, विडम्बना तो यह है कि देश में सिर्फ किसानों का शोषण जारी है केंद्र सरकार ने तकरीबन 15 उद्योगपतियों  का कर्ज माफ कर दिया,,, लेकिन देश के श्रमवीर अन्नदाता किसान जो कि कठिन परिश्रम कर अपनी गाढी मेहनत की कमाई से सबका पेट भर रहे हैं  उनका ना तो  कभी कर्ज माफ किया जाता है और ना उन्हें कर्ज अदायगी में किसी तरह की रियायत  दी जाती है,,,नेता  जो कि खुद को किसान हितैषी बताते हैं वे उस वक्त कहां नदारद हो जाते हैं जब कर्ज से लदा किसान आत्महत्या के लिए बाध्य हो जाता है हालांकि यह किसान की कमजोरी है लेकिन सरकार को किसानों के प्रति उदारता दिखाने की जरूरत है,,, जो भरे बरसात, कडाके की ठंड व तपते धूम में खेती किसानी कर अन्न उपजाता है  और सबका पेट भरते हैं  पर आज पर्यंत कोई विशेष कारगर योजना किसानों के हित में नहंी बनी जिससे किसानों के हालात बदलते,,,,सरकार की आखिर मंशा क्या है,,,यह समझ से परे है,,, वहीं किसान नेता जो उनके हिमाकत करतेे नजर आते हैं वे भी महज राजनीतिक रोटी सेंकने किसानों के  वोटों का सहारा व किसानों के जनाधार का फायदा उठाते हैं पर किसानों को हर बार झूठा आश्वासन व उनके हाथ में सिर्फ झूनझूना थमा दिया जाता है,,,सरकारी अमले,व्यापारी,उद्योगपति, जनप्रतिनिधि, ट्रांसपोर्टर, कालोनाईजर व ठेकेदार सहित अन्य क्षेत्रों में कार्यरत सभी लोगों के हालात  बदले हैं और वे जमीन से  उठकर एक नए आयाम तय कर साधन संसाधन से परिपूर्ण जीवनयापन कर रहे हैं लेकिन आज भी भारत जहां 80 फीसदी किसान जो कि गावों में बसते हैं और खेती से उनका गुजर बसर होता है उनके हालात आज पर्यंत नहंी बदला,,,आखिर किसानों की दशा व दिशा के बारे में कोई सोचता क्यों नहीं यह एक बडा सवाल है जिसका जवाब  देने अधिकारी व बडे बडे नेता कतराते हैं,,, जिससे किसान गरीबी में जीवनयापन करने मजबूर है।

पानी के लिए हाहाकार ! शासन-प्रशासन को नहीं कोई सरोकार, पेयजल की समस्या से जूझ रहे लोग


 जलस्तर घटते ही हैंडपम्प व टयूबवेल में नहीं आ रहा पानी

 पेयजल की समस्या से निजात दिलाने जिम्मेदार नहीं ले रहे सूध
मिशन क्रांति न्यूज/जांजगीर-चाम्पा। गर्मी के दस्तक के साथ ही शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या से लोग हलाकान है लेकिन इससे ना तो किसी जनप्रतिनिधियों को कोई सरोकार है और ना ही विभाग के जिम्मेदार नुमाइंदों को इसकी परवाह,,, जिससे शहर मंे पीने के लिए घरों में पानी तक उपलब्ध नहीं हो रहा है,,,,वहीं भीषड गर्मी की वजह जलसंकट गहरा गया है पर अफसोस जिला मुख्यालय में सरकारी नुमाइंदे हर साल पेयजल आपूर्ति के लिए शहर में करोडों का बजट पेश करते हैं लेकिन धरातल पर किसी तरह पेयजल के क्षेत्र में काम नहीं दिख रहा है,,,, जिससे लोगों में भारी आक्रोश है,,, हालांकि हर साल पेयजल की समस्या से निपटने लाख दावे किए जाते हैं जो खोखला साबित हो रहा है,,,,वहीं नगरवासी इस समस्या से निपटने की जुगत लगा रहे हैं लेकिन समस्या सुलझने की बजाय उलझता ही जा रहा है। शहर में हर साल की इस साल भी अप्रैल महिना शुरू होते ही जलसंकट गहरा गया है,,,, कई लोगों के घरों में पीने तक को पानी नहीं है,,, वहीं कुछ लोग दूसरे के नल व टयूबवेल से पानी की व्यवस्था कर दिन काट रहे हैं विडम्बना तो यह है कि पेयजल जैसी गंभीर समस्या को भी सरकारी नुमाइंदे व जन्रपतिनिधि हल्के में ले रहे हैं ऐसे में पानी की समस्या दिन ब दिन बढती जा रही है,,, और जवाबदार लोग सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं,,नगरवासियों में इस समस्या को लेकर काफी नाराजगी है हालांकि इस साल भी अन्य सालों की तरह पेयजल के लिए करोडों का बजट पेश किया है लेकिन इसका लाभ भी शहरवासियों को नहंीं मिल पाया है,,,, अब सवाल यह उठता है कि जब जिला मुख्यालय में पानी की समस्या  इतनी भयावाह है तो दूसरे नगरपालिका व नगर पंचायत सहित गावों की स्थिति आसानी से समझी जा सकती है,,,समस्या यह है कि जनप्रतिनिधि ऐसे जनससमस्या व ज्वलंत मुददे पर व्यवस्था दुरूस्त करने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाते,,,,जिसका खामियाजा लोगों को बेवजह भुगतना पडता है,,,,जांजगीर नगर पालिका परिषद की बात करें तो यहां चंदनिया पारा, भांठापारा, पुरानी बस्ती, सडकपारा,रमन नगर,,,लिंक रोड सहित सभी वार्डों में पानी की समस्या है लोग हलाकान है लेकिन पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है हालांकि नगर पालिका द्वारा महज चंद टेंकरों के भरोसे पानी उपलब्ध कराने कयास लगाए जा रहे हैं इसके बावजूद पानी की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है,,, ऐसे में निस्तारी के लिए लोग तालाब, हैंडपंप व गांवों की ओर रूख कर रहे हैं मिशन क्रंाति न्यूज टीम ने जब पानी की समस्या को देखते हुए ग्राउंड रिपोर्टिंग की तो नगर के ज्यादातर लोगों ने खुलकर पानी की समस्या के बारे में बताया और इसके लिए उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधि व सरकारी नुमाइंदों को दोषी ठहराया,,, क्योंकि यहसमस्या कोई  नई नहीं है हर साल गर्मी के दिनों में पानी की किल्ल्त होती है जिससे सभी बखूबी वाकिफ हैं।

मनरेगा के काम में मजदूरी भुगतान की लेटलतीफी से मजदूर बना रहे दूरी,,,,पलायन रोकने सरकार नाकाम,,,प्रशासन के पास रिकार्ड तक नहीं !

मिशन क्रांति न्यूज @

 जांजगीर-चाम्पा।
गावों से पलायन रोकने शासन प्रशासन पुरी तरह नाकाम है जिससे हर रोज ग्रामीण मजदूरी के लिए पलायन कर रहे हैं,,, वहीं  विडम्बना तो यह है कि प्रशासन के पास पलायन का कोकई रिकार्ड तक नहीं है,,, ऐसे में मजदूर काम की तलाश में दूसरे राज्य पलायन करने मजबूर हैं मजदूरों को ग्रामीण स्तर पर काम दिलाने शुरू की गई महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना भी मजदूरों के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है,,, क्योंकि मनरेगा में काम करने के बाद भी लंबे समय तक मजदूरी भुगतान नहीं होने से मजदूरों को इस योजना से मोह भंग हो रहा है,,वहीं  श्रम विभाग के आला अधिकारी पलायन रोकने महज औपचारिकता निभा  रहे हैं। जिससे पलायन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है,,,
शासन की मंशानुरूप गांव के मजदूरों को ग्रामीण स्तर पर ही काम दिलाने शुरू की गई महात्मागांधी रोजगार गांरटी योजना फिसडडी साबित हो रही है,,, क्योंकि इस योजना में काम करने वाले मजदूरों को अब तक मजदूरी भुगतान नहीं हो पाया है,,,वहीं अब तक ज्यादातर पंचायतों में अब तक मनरेगा के तहत किसी तरह का काम शुरू नहीं हो पाया है ऐसे में उनके सामने रोजी रोटी की समस्या खडी हो गई है,,, और वे काम की तलाश में अन्य राज्य पलायन कर रहे हैं,,,मिशन क्रांति न्यूज  की टीम ने जब नवागढ, मालखरौदा व जैजैपुर सहित अन्य कई ब्लाक के गावों के मजदूरों से पलायन के संबंध में बात किया तो नवागढ ब्लाक के तुलसी के कुशवा केंवट, राजकुमार कश्यप व अन्य कई ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने गांव में मनरेगा के तहत तालाब गहरीकरण में काम किया था लेकिन अब तक उन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है,,इसी तरह अन्य ग्राम पंचायतों में भी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत सडक निर्माण सहित अन्य कई काम कराया गया था लेकिन कई गावों में अब तक मजदूरों का भुगतान नहीं हो पाया है ऐसे में उनके सामने आर्थिक समस्या खडी हो गई है,,,जिससे वे पलायन करने मजबूर हैं,विडम्बना तो यह है कि जिले में कितने मजदूर पलायन कर गए हैं इसकी पुख्ता जानकारी प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है,,, ऐसे में जब बंधक मजदूर के मामले जब सामने आते हैं तो पलायन किए गए लोगों की सूध ली जाती है और तत्काल पलायनकर्ताओं की जानकारी जुटा पाना मुश्किल हो जाता है पर इससे शासन प्रशासन को कोई सरोकार नहीं है जिससे  पलायन का रिकार्ड नहीं होने के बावजूद आला अफसर बडे इत्मिनान से चुप्पी साधे बैठे हैं।
हर साल मुक्त कराए जाते हैं बंधक मजदूर
विभागीय आंकडों के अनुसार जिले में हर साल अलग अलग ब्लाक से बंधक मजदूर मुक्त कराए जाते हैं ये मजदूर ज्यादातर ईंट भटठा व मकान निर्माण में कार्य करते हैं लेनदेन में विवाद की स्थिति में ये मजदूर बंधक बना लिए जाते हैं और फिर इनके परिजनों या संबंधितों द्वारा प्रशासन स्तर पर इन्हें छुडवाने प्रशासन से गुहार लगाई जाती है तब जाकर किसी तरह इन बंधक मजदूरों को मुक्त कराया जाता है इसके बावजूद ना तो पलायन करने मजदूर बात आ रहे हैं और ना ही पलायन का रिकार्ड दुरूस्त करने प्रशासन स्तर पर किसी तरह की कार्ययोजना बन पा रही है।
मनरेगा से मजदूरों का मोहभंग 
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में जहां पहले काम की मांग के लिए पंचायतों में अर्जी लगाई जाती है,,,उसके बाद कार्य की मंजूरी मिलने के बाद काम शुरू किया जाता है लेकिन काम पूर्ण होने के कई महिने बाद भी मजदूरों को मजदूरी भुगतान नहीं हो पाता,,, जिससे उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पडता है,,, इसके बावजूद उन्हें भुगतान नहीं होने पर वे मनरेगा में काम कराना मुनासिब नहीं समझते और काम के लिए अन्य प्रांतों की ओर रूख करते हैं। जहां उन्हें कई तरह की परेशानियां होती है। पर सरकार व प्रशासनिक अमलों की लापरवाही के चलते इस योजना का सही क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है जिससे यह योजना दम तोडते नजर आ रही है ।

आशियाना बनवाने गरीबों से पैसों की डिमांड ! सरकारी योजनाओं का नहीं मिल पा रहा हितग्राहियों को यथोचित लाभ....




 भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से हौसले बुलंद
मिशन क्रांति न्यूज,,, जांजगीर-चाम्पा।  प्रधानमंत्री आवास योजना हो या फिर इंदिरा आवास योजना,, गांव के गरीब तपके के लेागों से सरपंच व सचिव के दलाल सीधे संपर्क साधने में जुट गए है,,यह सिलसिला काफी पहले से अनवरत जारी है। दलाल सक्रिय होकर आवास योजना की स्वीकृति से पहले व स्वीकृति के बाद पैसे की डिमांड कर रहे हैं,,, वहीं कई गावों के सरपंच सीधे हितग्राहियों से लेनदेन करने की जुगत में लगे हैं, हालांकि गांव के लोग सरकारी योजना से वंचित होने के खौफ से सरपंच व सचिव द्वारा लेनदेन की बात स्वीकार करने में कोताही बरत रहे हैं लेकिन दबी जुबान से वे इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि उनसे आवास के लिए राशि दिलवाने व आवास बनवाने खुलेआम पैसे की डिमांड की जा रही है।
केंद्र सरकार की मंशानुरूप गरीबी रेखा के अंतर्गत जीवनयापन करने वाले गरीबों के कचचे मकान को पक्का मकान बनाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुुरूवात की गई है,,, जिसके लिए ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव द्वारा नाम चयनित कर भेज दिया गया है,,,लेकिन इसके पहले कई गावों में सरपंच व सचिव की मिलीभगत से दलालो के माध्यम से गरीबों से लेनदने करने की बात सामने आई है हालांकि मिशन क्रंाति न्यूज टीम ने जब ऐसे हितग्राहियों से संपर्क साधा और इस लेनदेन की खुलासा के लिए तह तक जाने की बात कही तो उन्होंने पहले तो सीरे से इस बात को इंकार कर दिया लेकिन अखबारों मेंु नाम प्रकाशन नहीं करने की शर्त पर दबी जुबान से बताया कि उनका नाम पहले इस आवास सूची में नहंी था लेकिन सुची में नाम डालने के लिए उन्होंने उनसे लेनदेन की बात कही,,,पहले तो उन्हें यह नागवार गुजरा और आवास के बदले पैसे देने से साफ इंकार कर दिए लेकिन लगातार उनके दलालों द्वारा शीघ्र आवास के लिए राशि उपलब्ध कराने का दावा करने पर वे उनके झांसे में आ गए और आखिरकार उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनका नाम सूची में जोडने की गुजारिश कर दी,,,इसके लिए उन्हें जेब भी ढीली करनी पडी,,क्योंकि यह गरीबों की मजबूरी भी थी हितग्राहियों का कहना था कि वे पात्रता रखते हुए भी इस योजना के लाभ से वंचित हो जाते अगर वे पैसे देने से इंकार करते,,,चूंकि दलालों के जरिए किए जा रहे इस वसूली का कोई पुख्ता सबूत भी उनके पास नहीं है,,,क्योंकि यह लेनदेन का खेल बडी संजीदगी से खेला जाता है,,,मिशन क्रंाति न्यूज से उन्होंने बातें साझा किया और इंदिरा आवास योजना में इसी तरह की गडबडी सामने आ रही है,,, ऐेसे में जहां दलाल सरकारी योजना का खुलेआम माखौल उडा रहे हैं और शासन-प्रशासन मौन है,,,,,सूत्रों की मानें तो ये हितग्राहियों से किसी से दस हजार तो किसी से बीस हजार रूपए की डिमांउ कर रहे हैं,,, वहीं कई हितग्राहियों से तो सीधा आधा हिस्सा मांगा जा रहा है,,,नहीं देने पर नाम नहीं भेजे जाने अथवा  दूसरी किश्त के लिए प्रक्रिया आगे नहीं बढाए जाने की बात कही जा रही है। ऐसेे में सवाल यह उठता है कि आखिर आवास निर्माण के लिए सरकार की इस योजना का खुलेआम बंदरबाट हो रहा है और इससे ना तो किसी अफसर को कोई मतलब है और ना ही जनप्रतिनिधियों को इससे कोई सरोकार,,,
भ्रष्टाचार पर नहीं लगाम
शासन -प्रशासन की लचर व्यवस्था के चलते यहां सरकारी दफतर के अलावा हर सरकारी काम के लिए पैसों का लेनदेन आमबात है,,, क्योंकि भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद हैं,,,जिसका खामियाजा खासकर गरीबों को भुगतना पड रहा है जहां सरकार की महती योजनाओं में भी लाभ लेने के लिए भी बेवजह जेब ढीली करनी पड रही है,,वहीं इस तरह की शिकायतें मिलने पर भी विभागीय नुमाइंदों व भ्रष्टाचारियों पर भी सख्त कार्रवाई नहीं कर पाता। जिसका वे बेखौफ लाभ उठा रहे हैं,,,
शिकायत नहीं करने की दी जाती ही है चेतावनी
लेनदेन के इस खेल में जहां पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा सीधे तौर पर संबंधित विभाग में किसी तरह शिकायत नहीं करने की बात कही जाती है,,साथ ही सरकारी नुमाइंदे भी शिकायत होने पर भ्रष्ट अमलों पर कार्रवाई की बजाय घालमेल करता है,,, जिससे लोग लेनदेन के बात पूरी तरह चुप्पी साध लेते हैं,, और इसका फायदा भ्रष्टाचारियों को मिलता है और वे इस काम को आगे भी अंजाम देने से नहीं कतरात और फिर लेनदेन का यह सिलसिला अनवरत जारी रहता है। बहरहाल लेनदेन का यह कालाकारनामा बिचौलिओं के जरिए बडी चालाकी से खेला जाता है। 

गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

अब लोगों को कम खर्च पर मिल सकेगा शुद्ध पानी,,,

जांजगीर चांपा प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती इस कहावत को ग्राम सेमरा के एक युव वैज्ञानिक ने चरितार्थ कर दिखाया है जिस के उपयोग से बहुत कम खर्च में अब लोगों को शुद्ध पानी मिलेगा वाटर फिल्टर को पेटेंट कराने की प्रक्रिया पूरी हो गई है जिले के नौगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम सिमरा की पहचान जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय स्तर पर बनने जा रही है क्योंकि यहां की युवा वैज्ञानिक क्योंकि निवेश सिंह ने बहुत कम लागत का एक ऐसा वाटर फिल्टर तैयार किया है जिसे जेब में रखकर कहीं भी उपयोग में लाया जा सकता है योग्य वैज्ञानिक इस संबंध में गुरुवार को जिला मुख्यालय जिला जांजगीर के खादर में प्रेसवार्ता रखकर फीडर से संबंधित संपूर्ण जानकारी दी उन्होंने बताया कि आमतौर पर लोग जो पानी का उपयोग करते हैं वह शुद्ध नहीं है शुद्ध पानी के लिए लोगों को मोटी रकम खर्च करना पड़ करती करनी पड़ती है जिसके कारण लोग पीछे हट जाते हैं ऐसे ही लोगों को कम लागत में शुद्ध पानी प्राप्त करवाने के लिए वह छोटे साइज का वाटर फ़िल्टर तैयार किया है वन बताया उनके द्वारा तैयार किया गया वाटर फिल्टर वाल पेंट की साइज का है इसे जेब में रख कहीं भी खोजा जा सकता है इस फिल्टर की कीमत बहुत कम है या फिर कल बाजार में ₹300 में प्राप्त होगा युवा वैज्ञानिक ने आगे बताया कि अक्सर ऐसा होता है कि लोग खेत या फिर कहीं बाहर जाएं रहते हैं तब उन्हें तालाब या नदी झरने का पानी  पड़ता है,,, ऐसे में उनके द्वारा तैयार किया गया वाटर फिल्टर बहुत ही कारगर साबित होगा।

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

पलायन रोकने सरकार नाकाम,,, प्रशासन के पास रिकार्ड तक नहीं !

जांजगीर-चाम्पा। गावों से पलायन रोकने शासन प्रशासन पुरी तरह नाकाम है जिससे हर रोज ग्रामीण मजदूरी के लिए पलायन कर रहे हैं,,, वहीं  विडम्बना तो यह है कि प्रशासन के पास पलायन का कोकई रिकार्ड तक नहीं है,,, ऐसे में मजदूर काम की तलाश में दूसरे राज्य पलायन करने मजबूर हैं मजदूरों को ग्रामीण स्तर पर काम दिलाने शुरू की गई महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना भी मजदूरों के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है,,, क्योंकि मनरेगा में काम करने के बाद भी लंबे समय तक मजदूरी भुगतान नहीं होने से मजदूरों को इस योजना से मोह भंग हो रहा है,,वहीं  श्रम विभाग के आला अधिकारी पलायन रोकने महज औपचारिकता निभा  रहे हैं। जिससे पलायन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है,,,
शासन की मंशानुरूप गांव के मजदूरों को ग्रामीण स्तर पर ही काम दिलाने शुरू की गई महात्मागांधी रोजगार गांरटी योजना फिसडडी साबित हो रही है,,, क्योंकि इस योजना में काम करने वाले मजदूरों को अब तक मजदूरी भुगतान नहीं हो पाया है,,,वहीं अब तक ज्यादातर पंचायतों में अब तक मनरेगा के तहत किसी तरह का काम शुरू नहीं हो पाया है ऐसे में उनके सामने रोजी रोटी की समस्या खडी हो गई है,,, और वे काम की तलाश में अन्य राज्य पलायन कर रहे हैं,,,मिशन क्रांति न्यूज  की टीम ने जब नवागढ, मालखरौदा व जैजैपुर सहित अन्य कई ब्लाक के गावों के मजदूरों से पलायन के संबंध में बात किया तो नवागढ ब्लाक के तुलसी के कुशवा केंवट, राजकुमार कश्यप व अन्य कई ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने गांव में मनरेगा के तहत तालाब गहरीकरण में काम किया था लेकिन अब तक उन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है,,इसी तरह अन्य ग्राम पंचायतों में भी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत सडक निर्माण सहित अन्य कई काम कराया गया था लेकिन कई गावों में अब तक मजदूरों का भुगतान नहीं हो पाया है ऐसे में उनके सामने आर्थिक समस्या खडी हो गई है,,,जिससे वे पलायन करने मजबूर हैं,विडम्बना तो यह है कि जिले में कितने मजदूर पलायन कर गए हैं इसकी पुख्ता जानकारी प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है,,, ऐसे में जब बंधक मजदूर के मामले जब सामने आते हैं तो पलायन किए गए लोगों की सूध ली जाती है और तत्काल पलायनकर्ताओं की जानकारी जुटा पाना मुश्किल हो जाता है पर इससे शासन प्रशासन को कोई सरोकार नहीं है जिससे  पलायन का रिकार्ड नहीं होने के बावजूद आला अफसर बडे इत्मिनान से चुप्पी साधे बैठे हैं।हर साल मुक्त कराए जाते हैं बंधक मजदूरविभागीय आंकडों के अनुसार जिले में हर साल अलग अलग ब्लाक से बंधक मजदूर मुक्त कराए जाते हैं ये मजदूर ज्यादातर ईंट भटठा व मकान निर्माण में कार्य करते हैं लेनदेन में विवाद की स्थिति में ये मजदूर बंधक बना लिए जाते हैं और फिर इनके परिजनों या संबंधितों द्वारा प्रशासन स्तर पर इन्हें छुडवाने प्रशासन से गुहार लगाई जाती है तब जाकर किसी तरह इन बंधक मजदूरों को मुक्त कराया जाता है इसके बावजूद ना तो पलायन करने मजदूर बात आ रहे हैं और ना ही पलायन का रिकार्ड दुरूस्त करने प्रशासन स्तर पर किसी तरह की कार्ययोजना बन पा रही है।

मनरेगा से मजदूरों का मोहभंगमहात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में जहां पहले काम की मांग के लिए पंचायतों में अर्जी लगाई जाती है,,,उसके बाद कार्य की मंजूरी मिलने के बाद काम शुरू किया जाता है लेकिन काम पूर्ण होने के कई महिने बाद भी मजदूरों को मजदूरी भुगतान नहीं हो पाता,,, जिससे उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पडता है,,, इसके बावजूद उन्हें भुगतान नहीं होने पर वे मनरेगा में काम कराना मुनासिब नहीं समझते और काम के लिए अन्य प्रांतों की ओर रूख करते हैं। जहां उन्हें कई तरह की परेशानियां होती है। पर सरकार व प्रशासनिक अमलों की लापरवाही के चलते इस योजना का सही क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है जिससे यह योजना दम तोडते नजर आ रही है ।

बुधवार, 12 अप्रैल 2017

बस स्टैंड में खुलेआम छलकते हैं जाम, प्रशासन को कोई सरोकार नहीं

जांजगीर चाम्पा। जिला मुख्यालय के बस स्टैंड में गंदगी का आलम तो आम बात है,,,पर यहां शराबियों के जमावड़े से यात्रियों को काफी परेशानियां हो रही है,,,शायद यही वजह कि लोग शहर के इस नए बस स्टैंड में बैठना भी मुनासिब नहीं समझते,,,ज्यादतर महिला यात्री बस के इंतजार या किसी दुकान में बठकर करते हैं या फिर होटल के इर्द-गिर्द फटकते रहते हैं,,,वहीं बस स्टैंड में अव्यवस्था का आलम ऐसा कि यहां दिन में भी आसामाजिक तत्तवों का अड्डा रहता है,,,इतना ही नहीं ये खुलेआम यहां बस स्टैंड परिसर में छककर शराब पीते हैं,,,जिससे यात्रियों को यहां बैठना भी नागवार गुजरता है,,,"मिशन क्रांति न्यूज" के पत्रकार ने जब इन अव्यवस्थाओं से नगर पालिका के उपाध्यक्ष को अवगत कराया तो उन्होंने बड़ी आसानी से जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कर्मचारी का अभाव बताया। ऐसे में मुख्यालय का बस स्टैंड शासन-प्रशासन की लापरवाही व उदासीन रवैये से बेकाम साबित हो रहा हैॆ।