0 भौगोलिक,राजनैतिक,आर्थिक व सामाजिक दृष्टिकोण से पूरी तरह परिपूर्ण
0 विश्व का सबसे बड़ा लोक तांत्रिक देश है भारत
जांजगीर चाम्पा। भारत संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक देश रहा है,अब तक सात बार सुरक्षा परिषद का सदस्य चुना जा चुका है भारत को अस्थायी सदस्यता के चुनाव में अभूतपूर्व समर्थन मिला। सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत प्रबल दावेदार है। उक्त बातें भाजयुमो के जिलाध्यक्ष राजू महंत ने कही वे दैनिक आज की जनधारा से चर्चा कर रहे थे। श्री महंत ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 1945 में 70 साल पहले हुई थी। जिसमें पांच बड़े व शक्तिशाली देशों को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता प्रदान की गई थी। चार्टर के अध्याय पांच में परिषद के गठन का वर्णन है। यह संयुक्तराष्ट्र संघ का कार्यकारी अंग हैं तथा विश्वशांति व सुरक्षा के लिए मूल रूप से उत्तरदायी है। मूल चार्टर में 11 सदस्य थे जिसमें 5 स्थाई व 6 रूस,चीन,फ्रांस व ब्रिटेन स्थाई देशों में शामिल है। अस्थाई सदस्यों का चुनाव महासभा द्वारा दो तिहाई बहुमत से 2 साल के लिए चुना जाता है,,,संयुक्तराष्ट्र संघ की जिम्मेदारी शांति,सुरक्षा के अलावा संयुक्त राष्ट्र में नए राष्ट्रों का प्रवेश,महासचिव का चयन,अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ती,चार्टर में संशोधन,सदस्यों का निष्कासन आदि विषयों पर महासभा के निर्णय के पहले सुरक्षा परिषद की सहमती आवश्यक है इसिलिए सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे शक्तिशाली व महत्वपूर्ण अंग है।इसकी स्थाई सदस्यता किसी भी देश के लिए शक्ति व प्रभाव का प्रतिक है। श्री महंत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत देश की स्थाई सदस्यता पर जोर देते हुए कहा कि भारत भौगोलिक,राजनैतिक, आर्थिक व सामाजिक दृष्टिकोण से पूरी तरह परिपूर्ण है, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है,,,भारत अर्थव्यवस्था की दृष्टिकोण से भी काफी प्रबल है, वहीं विश्वशांति में भी भारत देश की महती भूमिका रहा है जिसे कतई नकारा नहीं जा सकता है। इसके बावजूद भारत देश को संयुक्तराष्ट्र संघ में स्थाई सदस्यता नहीं मिल पाना अनुचित है,,,उन्होने कहा कि विश्व शांति की बात करें तो उसमें भी हमारे देश की महत्वपूर्ण भूमिका रही,,,भारत ने 1950 - 53 तथा के कोरिया युद्ध व हिन्द चीन की समस्या में मध्यस्थता कर शांति स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई है भारत ने हमेशा परमाणु नि:शक्तिकरण की एक व्यापक व सुनीयोजित योजना प्रस्तुत की है। भारत ने सदैव आतंकवाद का विरोध किया है। भारत लंबे समय से आतंकवाद का दंश झेल रहा है लेकिन इसके बावजूद भारत ने कभी भी हिंसा व मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं किया है।भारत समय-समय पर विश्वमंच में आतंकवाद के खिलाफ आवाज मुखर करता रहा है व शांति स्थापना पर जोर देता रहा है इसलिए विश्व शांति व पड़ोसी देशों के साथ भारत का सौहार्दपूर्ण संबंध भारत की स्थाई सदस्यता का मजबूत आधार है।
0 विश्व का सबसे बड़ा लोक तांत्रिक देश है भारत
जांजगीर चाम्पा। भारत संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक देश रहा है,अब तक सात बार सुरक्षा परिषद का सदस्य चुना जा चुका है भारत को अस्थायी सदस्यता के चुनाव में अभूतपूर्व समर्थन मिला। सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत प्रबल दावेदार है। उक्त बातें भाजयुमो के जिलाध्यक्ष राजू महंत ने कही वे दैनिक आज की जनधारा से चर्चा कर रहे थे। श्री महंत ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 1945 में 70 साल पहले हुई थी। जिसमें पांच बड़े व शक्तिशाली देशों को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता प्रदान की गई थी। चार्टर के अध्याय पांच में परिषद के गठन का वर्णन है। यह संयुक्तराष्ट्र संघ का कार्यकारी अंग हैं तथा विश्वशांति व सुरक्षा के लिए मूल रूप से उत्तरदायी है। मूल चार्टर में 11 सदस्य थे जिसमें 5 स्थाई व 6 रूस,चीन,फ्रांस व ब्रिटेन स्थाई देशों में शामिल है। अस्थाई सदस्यों का चुनाव महासभा द्वारा दो तिहाई बहुमत से 2 साल के लिए चुना जाता है,,,संयुक्तराष्ट्र संघ की जिम्मेदारी शांति,सुरक्षा के अलावा संयुक्त राष्ट्र में नए राष्ट्रों का प्रवेश,महासचिव का चयन,अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ती,चार्टर में संशोधन,सदस्यों का निष्कासन आदि विषयों पर महासभा के निर्णय के पहले सुरक्षा परिषद की सहमती आवश्यक है इसिलिए सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे शक्तिशाली व महत्वपूर्ण अंग है।इसकी स्थाई सदस्यता किसी भी देश के लिए शक्ति व प्रभाव का प्रतिक है। श्री महंत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत देश की स्थाई सदस्यता पर जोर देते हुए कहा कि भारत भौगोलिक,राजनैतिक, आर्थिक व सामाजिक दृष्टिकोण से पूरी तरह परिपूर्ण है, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है,,,भारत अर्थव्यवस्था की दृष्टिकोण से भी काफी प्रबल है, वहीं विश्वशांति में भी भारत देश की महती भूमिका रहा है जिसे कतई नकारा नहीं जा सकता है। इसके बावजूद भारत देश को संयुक्तराष्ट्र संघ में स्थाई सदस्यता नहीं मिल पाना अनुचित है,,,उन्होने कहा कि विश्व शांति की बात करें तो उसमें भी हमारे देश की महत्वपूर्ण भूमिका रही,,,भारत ने 1950 - 53 तथा के कोरिया युद्ध व हिन्द चीन की समस्या में मध्यस्थता कर शांति स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई है भारत ने हमेशा परमाणु नि:शक्तिकरण की एक व्यापक व सुनीयोजित योजना प्रस्तुत की है। भारत ने सदैव आतंकवाद का विरोध किया है। भारत लंबे समय से आतंकवाद का दंश झेल रहा है लेकिन इसके बावजूद भारत ने कभी भी हिंसा व मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं किया है।भारत समय-समय पर विश्वमंच में आतंकवाद के खिलाफ आवाज मुखर करता रहा है व शांति स्थापना पर जोर देता रहा है इसलिए विश्व शांति व पड़ोसी देशों के साथ भारत का सौहार्दपूर्ण संबंध भारत की स्थाई सदस्यता का मजबूत आधार है।