■ जिला अस्पताल में डॉक्टर और नर्स की मनमानी से मरीज हलाकान
■ रात में ड्यूटी के दौरान मरीजों की सूध लेने के बजाय आराम फरमाते नजर आए स्टाफ नर्स
मिशन क्रांति न्यूज.
जांजगीर - चाम्पा। बैरिष्टर ठाकुर छेदीलाल स्मृति चिकित्सालय के डॉक्टर और स्टाफ नर्स की मनमानी चरम पर है। जहां खासकर रात में भर्ती होने वाले मरीजों से डॉक्टर और स्टाफ नर्स का रवैया काफी वितरित जान पड़ता है। बदसलूकी आम बात है खासकर रात में वार्डों के मरीजों को देखना तो दूर ड्रिप लगे मरीजों के ड्रीप खत्म हो जाने पर उन्हें बदलने या फिर दर्द से कराहते मरीजों से इन्हें कोई सरोकार नहीं रहता। जी हां यह जिला अस्पताल म़े हर दिन देखने को मिलता है। जहां मरीज इलाज कराने सरकारी अस्पताल की ओर रूख करते हैं जहां उन्हें अस्पताल में भर्ती तो कर लिया जाता है लेकिन महज एक बेड देकर अथवा ड्रिप लगाकर डॉक्टर और स्टाफ नर्स अपने कक्ष में आराम फरमाते नजर आते हैं इतना ही नहीं लापरवाही की हद इस कदर की दर्द से कराहते मरीज की हालत देख जब मरीज के परिजन ड्यूटी के दौरान आराम फरमा रहे डॉक्टर और स्टाफ नर्स को बुलाने जाते हैं तो ये सरकारी नुमांइदे झल्लाकर इन्हें चलता कर देते हैं ऐसे में लेटलतीफी के परिणाम स्वरूप कई मरीजों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। सारागांव सारवानी के धनेश्वर रत्नाकर ने बताया कि वे हफ्तेभर से अपनी तीन
साल की बेटी का जिला अस्पताल में इलाज करा रहे हैं जो गरम तेल में जल गई थी। उन्होंने बताया कि जब वे अपनी बच्ची को जले हुए हालत में लेकर सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे तब पहले तो उन्हें जिला अस्पताल में इलाज संभव नहीं होने की बात कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए सिम्स रेफर करने की मशवरा दी गई । लाख मिन्नतें करने के बाद जैसे तैसे उनकी बेटी को जिला अस्पताल में भर्ती तो कर लिए लेकिन हफ्तेभर में एक भी रात किसी मरीज को उनके वार्ड में जाकर देखने की फूर्सत ना तो किसी डॉक्टर को है और ना ही किसी स्टाफ नर्स को। ऐसे में हर वार्ड के मरीज रात को दर्द में कराहते रहते हैं लेकिन ये साहबजादे अपने कक्ष में आराम फरमा रहेे होते हैं। बुधवार की रात को भी एक मरीज के परिजन द्वारा डॉक्टर इकबाल हुसैन और नर्स पी. आशावान और सरोज सेन को दर्द से कराहते मरीज के बारे में अवगत कराया गया तो ये बौखला गए और उल्टा मरीज के परिजनों के खिलाफ एफआईआर कराने की धमकी दी जाने लगी ताकि उनकी मनमानी उजागर मत हो सके। वहीं विभागीय अधिकारी भी कार्रवाई की बात करते हुए इस गंभीर मसले पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसका खामियाजा मरीज और उनके परिजन भुगत रहे हैं पर आला अफसर बेपरवाह हो गए हैं।
महिला के गर्भ में मृत बच्चा की जानकारी के बावजूद नहीं हो सका इलाज
सरकारी अस्पताल में लापरवाही की हद तो तब हो गई जब नवागढ़ ब्लॉक के कुरियारी के कामता बाई को जब डिलीवरी के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया तो उन्हें पहले तो सोनोग्राफी कराने का हवाला देकर अस्पताल से चलता कर दिया गया। उसके बाद जब सोनोग्राफी की रिपोर्ट लेकर परिजन पहुंचे तो उन्हें भर्ती तो कर लिया गया लेकिन बच्चा महिला के गर्भ में ही दम तोड़ चुका था। उसके बावजूद डॉक्टरों ने इसे गंभीरता से लेने की बजाय महज एक बेड में लिटाकर तीन दिन तक महिला को इलाज से वंचित कर दिया। मिडिया द्वारा मामले की जानकारी जब जिला अस्पताल के सीएमएचओ व्ही जय प्रकाश को दी गई तो उन्होंने मामले की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए खुद को व्यस्त होना बताया तब मामले की जानकारी जांजगीर-चाम्पा कलेक्टर नीरज बंसोड़ को दिया गया। तब जाकर गुरूवार को उक्त पीड़ीत महिला का इलाज संभव हो सका।
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